Friday, October 31, 2008

मैं बिखर रहा हूँ मेरे दोस्त संभालो मुझको ,मोतिओं से कहीं सागर की रेत न बन जाऊँकहीं यह ज़माना न उडा दे धूल की मानिंदठोकरें कर दें मजरूह और खून मे सन जाऊँ ।इससे पहले कि दुनिया कर दे मुझे मुझ से जुदाचले आओ जहाँ भी हो तुम्हे मोहब्बत का वास्तामैं बैचैनियो को बहलाकर कर रहा हूँ इन्तिज़ारतन्हाइयां बेकरार निगाहों से देखती हैं रास्ता ।बहुत शातिराना तरीके से लोग बात करते हैं ,बेहद तल्ख़ अंदाज़ से ज़हान देता है आवाज़मुझे अंजाम अपने मुस्तकबिल का नहीं मालूमकफस मे बंद परिंदे कि भला क्या हो परवाज़ ।अपनी हथेलियों से छूकर मेरी तपती पेशानी कोरेशम सी नमी दे दो , बसंत की फुहारे दे दोप्यार से देख कर मुझको पुकार कर मेरा नामइस बीरान दुनिया मे फिर मदमस्त बहारें दे दो । आ जाओ इससे पहले कि चिराग बुझ जायेंदामन उम्मीद का कहीं ज़िन्दगी छोड़ न दे ,सांस जो चलती हैं थाम कर हसरत का हाथ का साथ कहीं रौशनी छोड़ ना दे ।

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